NCLT Full Form | NCLT का फुल फॉर्म क्या है?

nclt full form in hindi

आइये आज जानते हैं NCLT Full Form in Hindi क्या है? आपने अक्सर समाचार और न्यूज़ में सुना होगा कि ये कंपनी दिवालिया हो गई और उसका मामला NCLT के पास चला गया है। कंपनी अधिनियम 2013 सेक्शन 408 के तहत NCLT को बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कंपनियों के संबंध में कानूनों को संभालने के लिए NCLT को स्थापित किया गया है। भारत के संविधान में अनुच्छेद 245 के तहत NCLT का गठन किया गया है। NCLT भी एक तरह का कोर्ट ही है और कंपनियों से जुड़े मामले इसमें आते हैं।

शरुआत में NCLT की ग्यारह शाखाएं थी। दिल्ली में दो, अहमदाबाद इलाहाबाद, बेंगलुरु, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में एक-एक शाखाएं स्थापित की गयी थी जो अब बढ़ा दी गयी है। हमारे भरत देश में दिवालिया होनें वाली कम्पनियों की संख्या काफी अधिक है। आपको बता दे सरकार द्वारा हाल ही में पेश किए गए कानून में कर्मचारियों को भी दीवालिया हुई कंपनी की संपत्ति जब्त करने का अधिकार मिल गया है। किसी भी कंपनी के दिवालिया होने पर मामला NCLT के पास जाता है। आइए जानते हैं कि NCLT का फुल फॉर्म क्या है?

NCLT Full Form in Hindi

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NCLT का फुल फॉर्म National Company Law Tribunal (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) है। और एनसीएलटी को हिंदी में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण कहते है। एनसीएलटी को कंपनी अधिनियम 2013 के तहत बनाया गया है। जिसने कंपनी अधिनियम 1956 का स्थान लिया है। एनसीएलटी एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है जो संरचनाओं, कानूनों को संभालता है और कॉर्पोरेट मामलों से संबंधित विवादों का निपटारा करता है। एनसीएलटी की स्थापना जून 2016 में की गई थी। सबसे पहले किसी कंपनी के दिवालिया होने पर मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास जाता है। यहां इसके लिए इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल नियुक्त किया जाता है, जिसे यह जिम्मेदारी दी जाती है कि वह 180 दिनों के अन्दर कंपनी को रिवाइव करने का प्रयास करे। यदि कंपनी 180 दिनों के अन्दर रिवाइव हो जाती है, तो फिर से सामान्य कामकाज करने लग जाती है। यदि ऐसा नहीं होता तो उसे दिवालिया मानकर आगे की कार्रवाई की जाती है।

NCLT के कार्य और अधिकार क्षेत्र

NCLT के कार्य पर अधिकार क्षेत्र इस प्रकार है।

  • वर्ग कार्यवाही (Class action)
  • शेयर ट्रांसफर विवाद (Share Transfer Dispute )
  • जाँच पड़ताल

1. वर्ग कार्यवाही (Class action)

भारतीय कंपनी अधिनियम के अंतर्गत जिस कंपनी का पंजीकृत हो जाता है और यदि वह कंपनी निवेशकों से धन की चोरी करती है, तो उस कंपनी को NCLT द्वारा जुर्माना और दंडित किया जा सकता है। निवेशकों और शेयरधारकों को धोखा देकर पैसा बनाने वाली कंपनियों से पीड़ितों को उनके नुकसान की भरपाई भी करना होता है। क्लास एक्शन सूट निजी और सार्वजनिक दोनों कंपनियों के खिलाफ काम करता है, लेकिन बैंकिंग संस्थानों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा सकती है।

2. शेयर ट्रांसफर विवाद (Share Transfer Dispute)

कंपनी शेयरों को हस्तांतरित करने से इनकार कर देती है या हस्तांतरण का पंजीकरण नहीं करती है, तो पीड़ित व्यक्ति या जो व्यक्ति इस कदाचार की वजह से नुकसान उठाते है। तो वह एनसीएलटी से दो महीने के अन्दर समय-समय पर न्याय मांगने का अधिकार रखता हैं। सुरक्षा हस्तांतरण के लिए अनुबंध और व्यवस्था धारा 58 और 59 के मुताबिक, एनसीएलटी के अधिकार क्षेत्र में शामिल होते हैं

3. जाँच पड़ताल

ट्रिब्यूनल किसी भी कंपनी के कामकाज की जांच करने का आदेश दे सकता है। इसके साथ ही यदि कोई आवेदन उस विशेष कंपनी के खिलाफ 100 सदस्यों के साथ दायर करता है और एनसीएलटी के बाहर कोई भी व्यक्ति या समूह इसके द्वारा अधिकृत है, तो वह कुछ स्थितियों में जांचकर्ताओं के रूप में काम कर सकता है। वह ट्रिब्यूनल कंपनी की परिसंपत्तियों को फ्रीज कर सकता है और यदि आवश्यक हो तो उत्पादों पर प्रतिबंध भी लगाने आदेश दे सकता है।

तो अब आप जान गए होंगे कि NCLT का फुल फॉर्म क्या है? भारत के संविधान में अनुच्छेद 245 के तहत NCLT का गठन किया गया है। NCLT भी एक तरह का कोर्ट ही है और कंपनियों से जुड़े मामले इसमें आते हैं। उम्मीद है की आपको इस आर्टिकल में NCLT के बारे में सारी जानकारी मिल गई होगी।

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Aditi Jain
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