आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि Hydrogen Ki Khoj Kisne Ki हाइड्रोजन एक रासायनिक तत्त्व है। इसका संकेत H है तथा इसकी परमाणु संख्या 1 है। इसका आण्विक द्रव्यमान 1.00784u होता है। यह आवर्त सारणी के अनुसार सबसे हल्का तत्व है। यह एक रंगहीन एवं गंधहीन गैस होता है। यह डायटोमिक अणुओं से बना एक अत्यधिक दहनशील गैस है। चिकित्सा में, हाइड्रोजन का उपयोग बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। जब हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में ऑक्सीजन के साथ जलाया जाता है, तो पानी का उत्पादन होता है। प्रत्येक हाइड्रोजन अणु दो हाइड्रोजन परमाणुओं से मिलकर बनता है।
हाइड्रोजन के एक परमाणु में इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन की संख्या एक एक होती है। इसी कारण इसकी परमाणु संख्या भी एक होती है। हाइड्रोजन में न्यूट्रॉन नही पाया जाता है लेकिन हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम और ट्रिशियम में न्यूट्रॉन मौजूद होता है। यह गैस वातावरण में बहुत जल्दी आग पकड़ लेती है। बहुत कम ताप पर हाइड्रोजन ठोस या द्रव में चेंज हो जाता है। हाइड्रोजन वैसे एक अधातु है लेकिन कई तत्वों के साथ धातु के समान कार्य करता है। आइए जानते हैं कि Hydrogen Ki Khoj Kisne Ki ?
हाइड्रोजन की खोज किसने की
हाइड्रोजन एक ऐसा तत्व है जो मुख्य रूप से गैसीय अवस्था में ही पाया जाता है। यह ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है ब्रह्मांड के लगभग 75 प्रतिशत पदार्थों का निर्माण इसी से हुआ हैं। जीवन के लिए यह एक आवश्यक तत्व है, जो कि लगभग जीवित प्राणी के सभी अणुओं में मौजूद होता हैं। हाइड्रोजन की खोज सबसे पहले ब्रिटिश रसायनज्ञ और भौतिकविद हेनरी कैवेंडिश (Henry Cavendish) ने सन् 1766 में की थी। उस समय उन्होंने इसका नाम ‘ज्वलनशील हवा’ व ‘inflammable air’ रखा तथा 1781 में उन्होंने अपने प्रयोगों द्वारा यह भी पता लगाया था कि यह गैस जलने पर पानी बन जाता है।
कैवेंडिश से पहले लगभग 89 वर्ष पहले वैज्ञानिक रॉबर्ट बॉयल ने लोहे के बुरादों और घुलनशील अम्लों (dilute acids) के बीच होने वाली रासायनिक अभिक्रिया से उत्पन्न हाइड्रोजन गैस के विषय में अपनी पुस्तक में वर्णन किया था। लेकिन तब बॉयल अपने प्रयोगों द्वारा उसे एक अलग गैस रूप में पहचान नहीं दे पाए थे। साल 1783 में फ्रांस के दो वैज्ञानिकों एंटोनी लेवोज़ियर और पियेर सिमों लाप्लास ने एक साथ मिलकर कैवेंडिश के 1781 के प्रयोग को दोहराया और पुनः पाया कि हाइड्रोजन को जलाने पर पानी उत्पन्न होता है। इस गैस के इस गुण से प्रभावित होकर लेवोज़ियर ने इसका वर्तमान नाम ‘हाइड्रोजन’ रखा था। यह नाम दो ग्रीक शब्दों hydro (पानी) + genes से मिलकर बना है।
हाइड्रोजन कैसे बनती है
हाइड्रोजन को प्रयोगशाला में लौह तत्व के साथ सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया करवाकर प्राप्त कर सकते है। हाइड्रोजन को जलाने पर पानी का निर्माण होता है। अल्प मात्रा में हाइड्रोजन परॉक्साइड बनता है। पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग करके भी हाइड्रोजन प्राप्त किया जा सकता है।
हाइड्रोजन के उपयोग
हाइड्रोजन की वायु में उपस्थिति अल्प मात्रा में है। यह अल्प मात्रा भी वायुमंडल के ऊपरी भाग में है। हाइड्रोजन गैसीय ग्रहों जैसे कि बृहस्पति या शनि में हाइड्रोजन होती है। हाइड्रोजन पृथ्वी पर योगिक के रूप में किसी अन्य तत्व के साथ मौजूद रहती है। वर्तमान में हाइड्रोजन तत्व (Hydrogen) की नाभिकीय क्रिया से हाइड्रोजन बम भी बनाये गए है जो सामान्य परमाणु बम से कई गुना खतरनाक है। अमेरिका द्वारा जापान के शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए अणु बमों से भी कई गुना शक्तिशाली हाइड्रोजन बम है। हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन भी कहा जाता है।
हाइड्रोजन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- जीवों के वजन का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा पानी, प्रोटीन और वसा के रूप केवल हाइड्रोजन ही होता है।
- ठोस क्रिस्टलीय हाइड्रोजन का घनत्व किसी भी क्रिस्टलीय ठोस से सबसे कम होता है।
- ब्रह्मांड में, हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या अन्य सभी तत्व परमाणुओं के योग से लगभग 100 गुना अधिक है।
- हाइड्रोजन ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर तत्व है।
तो अब आप जान गए होंगे कि कि Hydrogen Ki Khoj Kisne Ki हाइड्रोजन की खोज सबसे पहले ब्रिटिश रसायनज्ञ और भौतिकविद हेनरी कैवेंडिश (Henry Cavendish) ने सन् 1766 में की थी।
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